Tuesday, February 12, 2013

तेरह फरवरी ....और वो कसक




आओ चलो 
लौट चलते है 
आज से तीस साल पहले 
और पैदा करते हैं 
वो कसक 
जो हमारे तुम्हारे बीच 
पैदा की थी 
तुम्हारे और हमारे  परिवारों ने 
तुम कितनी अनजान थी 
मुझसे 
मैं कितना अनजान था 
तुमसे 
और ये अनजाना सा रिश्ता 
पल में बदल गया 
हीरे सा रिश्ता 
सख्त भी और 
ओस सा कोमल भी 
कितनी खुशियों  का गवाह बना ये 
कितने  सोपान  चढ़ा ये 
और हो गया कालान्जयी 
आज जब भी पीछे मुड़ता हूँ तो 
बस शेष रहती है 
कसक 
वही जो आज से 
तीस साल पहले उपजी थी 
आज ही के दिन ...